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हाइब्रिड टमाटर

टमाटर की फसल में एकीकृत कीट प्रबंधन

टमाटर की फसल में एकीकृत कीट प्रबंधन

टमाटर उत्पादन किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक व्यवसाय है। जहां जलवायु की विविधता के कारण विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती सफलतापूर्वक की जा रही है। सब्जियों पर कीटों का प्रकोप अधिक होता है। इससे पैदावार में कमी आती है और किसानों को नाशीकीटों द्वारा नुकसान झेलना पड़ता है। अतः कीटों का नियंत्रण अत्यंत महत्वपूर्ण है। कीटनाशकों के दुष्प्रभावों को देखते हुए एकीकृत कीट प्रबंधन पर अधिक बल देने की आवश्यकता है।

टमाटर का फलछेदक

यह एक बहुपौधभक्षी कीट है, जो कि टमाटर को नुकसान पहुंचाता है। इस कीट की सुंडिया कोमल पत्तियों और फूलों पर आक्रमण करती है तथा फिर फल मे छेद करके फल को ग्रसित करती है। फलछेदक की मादा शाम के समय पत्तों के निचले हिस्से पर हल्के पीले व सफेद रंग के अंडे देती हैं। इन अंडों से तीन से चार दिनों बाद हरे एवं भूरे रंग की सुंडियां निकलती हैं। पूरी तरह से विकसित सूंडी हरे रंग की होती है, जिनमें गहरे भूरे रंग की धारियां होती है। यह कीट फलों में छेद करके अपने शरीर का आधा भाग अंदर घुसाकर फल का गूदा खाती है। इसके कारण फल सड़ जाता है। इसका जीवनचक्र 4 से 6 सप्ताह में पूरा होता है।

तंबाकू की फलछेदक सुंडी

यह भी एक बहुपौधभक्षी कीट है। इसके अगले पंख स्लेटी लाल भूरे रंग के होते हैं। पिछले पंख मटमैले सफेद रंग के, जिसमें गहरे भूरे रंग की किनारी होती है। इसकी मादा पत्तों के नीचे 100 से 300 अंडे समूह में देती है, जिनको ऊपर से पीले भूरे रंग के बालों से मादा द्वारा ढक दिया जाता है। इन अंडो से 4 से 5 दिनों में हरे पीले रंग की सुंडियां निकलती हैं। ये प्रारम्भ मे समूह में रहकर पत्तियों की ऊपरी सतह खुरचकर खाती हैं। पूर्ण विकसित सूंडी जमीन के अंदर जाकर प्यूपा बनाती है। इस कीट का जीवनचक्र 30 से 40 दिनों में पूरा होता है। टमाटर की टहनियों पे किट संक्रमण [kit infection on tomato twigs]

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फल मक्खी

फल मक्खी आकार में छोटी होती है, परंतु काफी हानिकारक होती है। यह मक्खी बरसात के मौसम में अधिक नुकसान करती हैं। इनके वयस्कों के गले में पीले रंग की धारियां देखी जा सकती हैं। इस कीट की मादा मक्खी फल प्ररोह के अग्रभाग में अथवा फल के अंदर अंडे देती है। इन अंडों से चार-पांच दिनों में सफेद रंग के शिशु (मैगट) निकल जाते है। ये फलों के अंदर घुसकर इसके गूदे को खाना प्रारंभ कर देते हैं। ये सुंडियां तीन अवस्थाओं से गुजरती हैं तथा मृदा में पूर्णतः विकसित होने पर प्यूपा बन जाती हैं। इन प्यूपा से 8 से 10 दिनों में वयस्क मक्खी निकलती है। यह लगभग एक माह तक जीवित रहती हैं।

सफेद मक्खी

सफेद मक्खी का प्रकोप टमाटर की फसल की शुरूआत से अंत तक रहता है। इस कीट की मक्खी सफेद रंग की होती है और बहुत ही छोटी होती हैं। इसके वयस्क एवं शिशु दोनों ही फलों से रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं। सफेद मक्खी की मादा पत्तों की निचली सतह में 150 से 250 अंडे देती हैं। ये अंडे बहुत महीन होते हैं जिन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता। इन अंडों से 5 से 10 दिनों में शिशु निकलते हैं। शिशु तीन अवस्थाओं को पार कर चैथी अवस्था में पहुंचकर प्यूपा में परिवर्तित हो जाते हैं। प्यूपा से 10 से 15 दिनों बाद में वयस्क निकलते हैं और जीवनचक्र फिर से आरंभ कर देते है। इस कीट के शरीर से मीठा पदार्थ निकलता रहता है, जो पत्तों पर जम जाता है। इस पर काली फफूंद का आक्रमण होता है तथा पौधों को नुकसान पहुंचता है।

सफेद मक्खी का पत्तीयों पर प्रकोप

टमाटर के पत्तों पर सफेद कीट [white pests on tomato leaf ]

पर्ण खनिक कीट

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यह एक बहुभक्षी कीट है, जो कि संपूर्ण विश्व में सब्जियों एवं फलों की 50 से अधिक किस्मों को नुकसान पहुंचाता है। इसकी मादा पत्ते के ऊतक एवं निचली सतह के अंदर अंडा देती है। अण्डों से दो-तीन दिनों बाद निकलकर शिशु पत्ते की दो सतहों के बीच में रहकर नुकसान पहुंचाते हैं। ये शिशु सर्पाकार सुरंगों का निर्माण करते हैं। इन सफेद सुरंगों के कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है तथा फसल की पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ता है। वयस्क शिशु 8 से 12 दिनों बाद मृदा में गिरकर प्यूपा बनाते हैं। इनसे 8 से 10 दिनों बाद वयस्क निकल जाते हैं।

पर्ण खनिक कीट से ग्रसित पत्ती में सर्पाकार सुरंग

कटुआ कीट

यह कीट छोटे पौधों को काफी नुकसान पहुंचाता है। कटुआ कीट छोटे पौधों को रात के समय काटते हैं और कभी-कभी कटे हुए छोटे पौधों को जमीन के अंदर भी ले जाते हैं। एक मादा सफेद रंग के 1200-1900 अंडे देती हैं। इनमें से चार पांच दिनों बाद सूंडी बाहर निकलती है। इसकी सुंडियां गंदी सलेटी भूरे-काले रंग की होती हैं। ये दिन के समय मृदा में छुपी हुई रहती हैं। पौधरोपण के समय से ही ये पौधे को मृदा की धरातल के बराबर तने को काटकर खाती हैं। इसकी सुंडियां लगभग 40 दिनों तक सक्रिय रहती हैं। इसका प्यूपा भी जमीन के अंदर ही बनता है। इसमें से लगभग 15 दिनों में वयस्क पतंगा निकलता है। इस कीट का जीवनचक्र 30 से 60 दिनों में पूरा हो जाता हैं।

टमाटर के पत्तों पर कीट से बनी सुरंग [insect tunnel on tomato leaves]

 

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कटुआ कीट का प्रकोप

एकीकृत कीट प्रबंधन

  • क्षतिग्रस्त फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
  • खेत में सफाई पर विशेश ध्यान दें।
  • खेतों में फसलचक्र को बढ़ावा दें।
  • गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें।
  • अण्डों को और समूह में रहने वाली सुंडियों को एकत्रित करके नष्ट कर देन चाहिए।
  • टमाटर की 16 पंक्तियों के बाद दो पंक्तियां गेंदे की लगाएं और गेंदे पर लगी सुंडियों को मारते रहें।
  • रात्रि के समय रोशनी ‘प्रकाश प्रपंच‘ का इस्तेमाल करना चहिए।
  • नर वयस्कों को पकड़ने के लिए ‘फेरोमोन प्रपंच‘ (रासायनिक) का इस्तेमाल भी उपयोगी है। एक एकड़ जमीन में चार से पांच ट्रैप लगाने चाहिए।
  • फूल आने पर बैसिल्स थुरिनजियंसिस वार कुर्सटाकी5 लीटर प्रति हैक्टर (70 मि.ली. 100 लीटर पानी में डइपैल 8 लीटर) का छिड़काव करें।
  • ट्राइकोग्रामा प्रेटियोसम के अंडो का 20,000 प्रति एकड़ चार बार प्रति सप्ताह की दर से खेतों में प्रयोग करें।
  • सफेद मक्खी और पर्ण खनिक को पकड़ने के लिए पीले रंग के चिपचिपे (गोंद लगे हुए) लगे हुए ट्रैप का इस्तेमाल करना चाहिए। प्रति 20 मीटर में एक ट्रैप लगा सकते हैं।
  • फल मक्खी के नर वयस्कों को पकड़ने के लिए क्युन्योर नामक आकर्षक या पालम ट्रैप का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। 10 ग्राम गुड़ अथवा चीनी का घोल और 2 मि.ली. मैलाथियान (50 ई.सी.) प्रति लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करें। मिथाइल यूजीनॉल (40 मि.ली.) और मैलाथियान (20 मि.ली.) (2 मि.ली. प्रति लीटर पानी) के घोल को बोतलों में डालकर टमाटर के खेत में लटकाने से इस कीट को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • अधिक प्रकोप होने पर क्विनालफॉस 20 प्रतिशत (1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी) या लैम्डा-साईहैलोथ्रिन (5 प्रतिशत ई.सी.) या इमिडाक्लोप्रिड5 मि.ली. प्रति लीटर पानी या ट्रायजोफॉस 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
  • खेत तैयार करते समय मृदा में क्लोरपाइरिफोस 20 ई.सी. 2 लीटर का 20 से 25 कि.ग्रा. रेत में मिलाकर प्रति हैक्टर खेत में अच्छी तरह मिला दें।
देसी और हाइब्रिड टमाटर में क्या हैं अंतर, जाने क्यों बढ़ रही है देसी टमाटर की मांग

देसी और हाइब्रिड टमाटर में क्या हैं अंतर, जाने क्यों बढ़ रही है देसी टमाटर की मांग

आजकल हम भले ही किसी ठेले से सब्जियां खरीद रहे हों या फिर किसी वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन सब्जियों की डिलीवरी करवाना चाहते हैं। 

दोनों ही जगह हमें दो तरह के टमाटर देखने को मिलते हैं। हमें हाइब्रिड और देसी दो तरह के टमाटर का विकल्प मिलता है, यह दोनों हैं तो टमाटर ही फिर इन दोनों में क्या अंतर है?

अगर मांग की बात करें तो देसी टमाटर आजकल ज्यादा पसंद किए जाते हैं।

क्या है देसी और हाइब्रिड टमाटर में अंतर

टमाटर किसी भी सब्जी के स्वाद में चार चांद लगा देते हैं, इसके अलावा सूप आदि में भी टमाटर बहुत पसंद किया जाता है। ऐसे में हमें जानने की जरूरत है, कि देसी और हाइब्रिड टमाटर में आखिर अंतर क्या है। 

दोनों हैं तो टमाटर ही लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन दोनों ही किस्म में जमीन आसमान का अंतर है। अगर आप देसी टमाटर की पहचान करना चाहते हैं, तो आप उसके रंग से उसकी पहचान कर सकते हैं। 

यह टमाटर एकदम लाल नहीं होता है, बल्कि हल्का पीला और हरा सा नजर आता है। कभी कभी देखने में लगता है, कि जैसे टमाटर पका हुआ नहीं है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है, 

यह टमाटर सब्जी को या किसी भी देश को एक हल्का खट्टा मीठा टेस्ट देता है और यह रस से भरा हुआ होता है। साथ ही यह काफी पौष्टिक भी माना जाता है।

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वहीं पर हाइब्रिड टमाटर बड़े बड़े आकार के होते हैं और एकदम टाइट होते हैं। इनका रंग सुर्ख लाल होता है और इन को दबाने पर ऐसा लगता है, जैसे इनमें कोई रस नहीं है। 

अगर स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो यह टमाटर ज्यादा अच्छा नहीं माना जाता है। यह लंबे समय तक चल तो जाते हैं, लेकिन इनके ऊपर का छिलका आदि सख्त होने के कारण यह स्वास्थ्य को कई तरह की हानियां पहुंचा सकते हैं।

क्यों है देसी टमाटर ज्यादा मांग में

अगर देसी और हाइब्रिड दोनों तरह के टमाटर की तुलना की जाए तो आजकल देसी टमाटर ज्यादा डिमांड में है पर इसका कारण है।

  • देसी टमाटर हाइब्रिड टमाटर के मुकाबले ज्यादा अच्छा स्वाद देते हैं, इनमें रस होता है जो किसी भी डिश में चार चांद लगा देता है।
  • देसी टमाटर हाइब्रिड टमाटर के मुकाबले स्वास्थ्य के लिए ज्यादा लाभकारी होते हैं और डॉक्टर आदि भी आजकल देसी या ऑर्गेनिक टमाटर खाने की ही सलाह देते हैं।
  • देसी टमाटर की कीमत हाइब्रिड टमाटर से कम होती है, तो ऐसे में अगर लोगों को सस्ते में अच्छी चीज मिलेगी तो उसकी डिमांड बढ़ना लाजमी है।

भारत में मिलने वाली देसी टमाटर की नस्ल

काशी अमृत, काशी विशेष, काशी हेमंत, काशी शरद, काशी अनुपम और काशी अभिमा, ये 6 तरह की किस्म भारत में काफी लोकप्रिय हैं।

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छत्तीसगढ़, ओड़िसा, आंध्रप्रदेश और एमपी के किसान काशी हेमंत को उगाना पसंद करते हैं। वहीं, पहाड़ी क्षेत्रों में किसानों की पहली पसंद काशी शरद है। 

जबकि, गरम जलवायु के क्षेत्र माने जाने वाले हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के किसान काशी अनुपम को अपनी पहली पसंद मानते हैं। काशी विशेष टमाटर एक ऐसी किस्म है, जो हर जगह उगाई जा सकती है।